मधुमेह हो या नहीं, इस किताब के बारे में जरूर जानिये
डायबिटीज और खुशी का आपस में क्या संबंध हो सकता है? शायद कोई संबंध नहीं। मगर एक ऐसे चिकित्सक की नजर से अगर देखें जिसने अपनी पूरी जिंदगी डायबिटीज का इलाज करने में गुजार दी हो और सोते-जागते जिसका पूरा ध्यान सिर्फ इस बीमारी के अलग-अलग पहलुओं को समझने में ही लगा रहता हो तो आप समझ सकते हैं कि डायबिटीज और खुशी के बीच क्या संबंध है। डॉक्टर अनूप मिश्रा ऐसे ही चिकित्सक हैं जिन्होंने पहले अपने चिकित्सीय कॅरिअर के 30 साल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में और उसके बाद का एक दशक फोर्टिस सी डॉक अस्पताल में इसी बीमारी के मरीजों को इलाज द्वारा खुशी देने में बिताए हैं और चार दशक से लंबे अपने इस कॅरिअर में अब उन्होंने बीड़ा उठाया है आम लोगों के साथ-साथ नए डॉक्टरों को जागरूक करने का। इसके लिए उन्होंने एक किताब लिखी है जिसका नाम ही रखा है “डायबिटीज विद डिलाइट’’।
डायबिटीज विद डिलाइट
दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में इस किताब का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ और जाने माने ईएनटी स्पेशियलिस्ट डॉक्टर नरोत्तम पुरी के हाथों हुआ। इस मौके पर डॉक्टर अनूप मिश्रा ने बताया कि इस किताब में उन्होंने डायबिटीज यानी मधुमेह के सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी है और खास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारी वैज्ञानिक परीक्षणों पर आधारित है। यानी किसी तरह की कोई भ्रामक जानकारी लोगों को नहीं मिलेगी। दूसरी बात, यह किताब भारतीय परिस्थियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है और इसलिए इसमें इस्तेमाल किए गए सभी मानक, इलाज के तरीके, जटिलताएं, खान-पान सभी को भारतीय मानकों के हिसाब से लिखा गया है।
इतिहास में मधुमेह
अगर किताब की बात करें तो सरल अंग्रेजी में लिखी गई यह किताब मधुमेह के इतिहास से लेकर आधुनिक खोजों तक के बारे में विस्तार से जानकारी देती है। प्राचीन काल में वेदों में इसके जिक्र से लेकर दूसरी शताब्दी में ग्रीक फीजिशियन एरेटिअस द्वारा इसकी पहचान किए जाने, छठी शताब्दी में भारतीय चिकित्सक सुश्रुत को भी इसकी जानकारी होने का जिक्र किताब में है। वैसे मध्य कालीन विश्व तक मधुमेह की पहचान का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं था। इसकी पहचान रोगी के पेशाब की गंध, उसके स्वाद और उसे छूकर की जाती थी। किताब में कुल 43 अध्याय हैं और इनमें इस रोग से जुड़ी तकरीबन हर जानकारी समेट दी गई है। आधुनिक काल में हुए सभी खोजों का निचोड़ भी इसमें मौजूद है। इसलिए डॉक्टर मिश्रा कहते हैं कि नए डॉक्टरों को इस किताब से बहुत फायदा होगा क्योंकि उन्हें मधुमेह से जुड़ी तकरीबन हर जानकारी इसमें मिल सकती है।
खान-पान
किताब के अंत में खान-पान और पोषण के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। किस तरह के खाने से कितनी कैलोरी मिलती है और हमें वास्तव में कितनी कैलोरी की जरूरत है, वह सब इसमें मौजूद है। खान पान से संबंधित मिथकों को झुठलाने का प्रयास भी किया गया है। उदाहरण के लिए अगर किसी को मधुमेह हो जाए तो सबसे पहले यह कहा जाता है कि आम खाना छोड़ दों मगर डॉक्टर मिश्रा कहते हैं कि यह सिर्फ मिथ है। आप आम खा सकते हैं मगर हां उसकी मात्रा क्या होगी यह आपके पोषाहार विशेषज्ञ को तय करना चाहिए। इस मौके पर पत्रकार विनोद दुआ और डॉक्टर नरोत्तम पुरी ने मधुमेह के बारे में डॉक्टर मिश्रा से कई सवाल भी किए। नीचे आप इस किताब के बारे में डॉक्टर अनूप मिश्रा के विचार सुन सकते हैं।
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